मध्यप्रदेश में मानसून का दौर लगातार उतार-चढ़ाव के साथ जारी है। कहीं हल्की बूंदाबांदी हो रही है तो कहीं मध्यम से तेज वर्षा दर्ज की गई। 18 अगस्त को हरदा और शाजापुर जिलों में लंबे इंतज़ार के बाद आखिरकार बारिश हुई, भले ही अवधि कम रही हो। सैटेलाइट इमेज से संकेत मिलते हैं कि इतनी वर्षा से फसल को कुछ हद तक राहत मिल चुकी है।
बंगाल की खाड़ी से गुजरात तक सक्रिय सिस्टम
इस समय मानसून का प्रमुख सिस्टम बंगाल की खाड़ी से निकलकर महाराष्ट्र होते हुए गुजरात पहुँच चुका है। इसके बावजूद मध्यप्रदेश में बारिश क्यों जारी है? इसका कारण है ट्रफ रेखा और अरब सागर से आने वाली नमीदार हवाएं, जो अभी भी प्रदेश के कई हिस्सों में वर्षा ला रही हैं।
पश्चिमी जिलों में अधिक वर्षा की संभावना
आज, 19 अगस्त को, पश्चिमी और दक्षिणी मध्यप्रदेश जैसे बैतूल, बुरहानपुर, खंडवा, खरगोन, इंदौर, धार, उज्जैन और बड़वानी में वर्षा की संभावना अधिक है। इन जिलों के 70–80% हिस्से में मध्यम से तेज बारिश देखी जा सकती है।
वहीं पूर्वी जिलों—शहडोल, उमरिया, सीधी, सिंगरौली, रीवा आदि—में बारिश का असर काफी कमज़ोर पड़ा है। यहां फिलहाल केवल हल्की बूंदाबांदी की ही संभावना है।
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मध्य और उत्तरी क्षेत्र
भोपाल, विदिशा, नर्मदापुरम और रायसेन जैसे जिलों में हल्की वर्षा या बूंदाबांदी दर्ज हो सकती है, लेकिन बड़ी बारिश की संभावना कम है। शाहजापुर और देवास जैसे जिलों का कुछ हिस्सा आज वर्षा से लाभान्वित होगा।
आगामी दिनों का पूर्वानुमान
- 20 अगस्त: बारिश का क्रम लगभग इसी तरह जारी रहेगा।
- 21 से 24 अगस्त: मानसून में हल्का ब्रेक लग सकता है। इस दौरान अधिकतर जिलों में धूप देखने को मिलेगी।
- 25 अगस्त के बाद: एक नया सिस्टम सक्रिय होने की उम्मीद है, जिससे पुनः वर्षा का दौर शुरू हो सकता है।
किसानों के लिए महत्वपूर्ण सलाह
- दवाइयों के छिड़काव के समय सिलिकॉन बेस चिपकाने वाले (स्टिकर) का उपयोग करें ताकि हल्की वर्षा होने पर भी दवाई व्यर्थ न जाए।
- नीम ऑयल (10,000 PPM या उससे कम) का प्रयोग करें, इससे तना मक्खी और अन्य कीटों की समस्या लगभग 65–70% तक कम हो सकती है।
- इस समय सोयाबीन की फसल परिपक्व अवस्था में है, इसलिए खरपतवारनाशक या अतिरिक्त रसायनों का प्रयोग न करें।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, मध्यप्रदेश में मानसून की स्थिति फिलहाल सक्रिय है लेकिन असमान रूप से वितरित है। पश्चिमी जिलों में किसानों को अच्छी वर्षा का लाभ मिलेगा, जबकि पूर्वी हिस्सों को अगले सिस्टम का इंतज़ार करना पड़ सकता है। आने वाले दिनों में मौसम की अनिश्चितता बनी रहेगी, इसलिए किसानों को सलाह है कि फसल प्रबंधन और दवाइयों का उपयोग सोच-समझकर करें।
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