बाजरे की खेती से पाएं ज़्यादा मुनाफा – जानिए कम लागत में अधिक उत्पादन के आसान तरीके!

बाजरे की खेती(Bajre ki kheti): अधिक उपज के लिए उर्वरक व बीज उपचार के टिप्स प्रमुख खरीफ फसल है जो कम पानी में भी अच्छी उपज देती है। किसानों को उत्पादन लागत कम करके अधिक मुनाफा दिलाने हेतु कृषि विभाग ने महत्वपूर्ण सुझाव जारी किए हैं। इनमें उर्वरक प्रबंधन, बीजोपचार, मृदा उपचार, खरपतवार नियंत्रण और प्रतिरोधक किस्मों का प्रयोग प्रमुख हैं।

📢 किसान भाइयों के लिए ज़रूरी सूचना!
हमारे WhatsApp Channel से जुड़ें और रोज़ाना पाएं ताज़ा मंडी भाव, खेती टिप्स और सरकारी योजनाओं की जानकारी सबसे पहले! 🌾📲

क्यों करें बाजरे की खेती?

बाजरा एक खरीफ फसल है, जो कम पानी में भी बढ़िया उपज देती है। जिन इलाकों में सिंचाई की सुविधा सीमित है, वहां भी यह फसल बिना किसी परेशानी के तैयार हो जाती है। यही नहीं, इसकी जड़ें मजबूत होती हैं और यह सूखा झेलने की ताकत भी रखती है।

उर्वरक का संतुलित उपयोग – बाजरे की खेती

बाजरे की अच्छी उपज के लिए सबसे पहली जरूरत है – मृदा परीक्षण। खेत की मिट्टी कैसी है, उसमें कौन-से पोषक तत्त्व की कमी है – यह जानना जरूरी है। उसके आधार पर उर्वरक डालना चाहिए।

सामान्य रूप से बाजरे के लिए 104 किलो यूरिया और 65 किलो डीएपी या फिर 130 किलो यूरिया और 188 किलो एसएसपी की जरूरत होती है। बुवाई के समय यूरिया की आधी मात्रा और पूरी डीएपी/एसएसपी कतारों में डालें। बाकी बचा यूरिया, बुवाई के 25 से 30 दिन बाद वर्षा होने पर खेत में डालें।

बीजोपचार से बीमारियों को कहें अलविदा

अक्सर किसान शिकायत करते हैं कि बीज अंकुरित नहीं हो रहे, पौधे सूख रहे हैं या तनों में कीड़े लग गए हैं। इसकी वजह है बीज जनित रोग। इससे बचने का सबसे आसान उपाय है – बीजोपचार

बाजरे के बीजों को मेटालेक्जिल नामक फफूंदनाशक से (6 ग्राम प्रति किलो बीज) उपचारित करना चाहिए। इसके अलावा दीमक और सफेद लट से बचाने के लिए इमिडाक्लोप्रिड या क्लोथायोनिडिन का उपयोग भी किया जा सकता है।

मिट्टी को करें रोगमुक्त – बाजरे की खेती

अगर खेत की मिट्टी में ही बीमारी है, तो पौधा चाहे जितना अच्छा बीज हो, अच्छा नहीं पनपेगा। इसलिए मृदा उपचार भी जरूरी है। इसमें ट्राइकोडर्मा जैसे जैविक उत्पादों का इस्तेमाल किया जा सकता है। यह न सिर्फ मिट्टी को साफ करता है, बल्कि उसमें लाभकारी जीवाणु भी बढ़ाता है।

एजोटोबैक्टर से बढ़ाएं बीज की ताकत

अगर आप चाहते हैं कि फसल की जड़ें मजबूत हों और पौधे तेजी से बढ़ें, तो बीजों को एजोटोबैक्टर से जरूर उपचारित करें। 250 ग्राम गुड़ को 500 मि.ली. पानी में गर्म करें, ठंडा होने पर उसमें 600 ग्राम एजोटोबैक्टर मिलाएं। अब इस घोल में बीजों को भिगो दें और फिर छांव में सुखाकर तुरंत बुवाई करें।

बाजरे की बुवाई का सही समय और तरीका

Bajre ki kheti – बाजरे की बुवाई का सही समय है – मध्य जून से जुलाई के तीसरे सप्ताह तक। देरी करने पर उपज कम हो सकती है। प्रति हेक्टेयर 4 किलो बीज पर्याप्त रहता है और बुवाई 3-4 सेमी गहराई तक करें। अगर मौसम का ध्यान रखते हुए समय पर बुवाई की जाए, तो कीट-रोगों का खतरा भी कम रहता है।

📢 किसान भाइयों - विशेष सूचना!
सरकारी योजनाओं की जानकारी सबसे पहले पाने के लिए अभी जुड़ें हमारे विशेष WhatsApp ग्रुप से!
मिलेगी सभी नई कृषि योजनाओं, सब्सिडी और लोन की पूरी जानकारी 💰🌾

खरपतवार नियंत्रण जरूरी है

बाजरे की फसल को अगर खरपतवार घेरे रहते हैं, तो वो उसका पोषण छीन लेते हैं। इससे उत्पादन घटता है। इसलिए बुवाई के तुरंत बाद एट्राजीन नामक रसायन का छिड़काव करें और 3-4 सप्ताह बाद निराई-गुड़ाई करें। यह न सिर्फ पौधों को राहत देता है, बल्कि उनकी वृद्धि भी तेज करता है।

कीट और रोग नियंत्रण

तुलासिता, तना मक्खी, सफेद लट और दीमक जैसे कीटों से फसल को बचाना जरूरी है। इसके लिए पहले ही बीजोपचार करें और बाद में जैविक कीटनाशकों जैसे नीम का तेल या ट्राइकोडर्मा का इस्तेमाल करें। खेत की साफ-सफाई और फसल चक्र अपनाना भी एक अच्छा तरीका है।

सिंचाई का सही प्रबंधन

हालांकि बाजरा बारिश पर आधारित फसल है, लेकिन अगर सिंचाई की सुविधा हो तो कुछ महत्वपूर्ण समय पर सिंचाई करें –

  1. अंकुरण के बाद
  2. सिट्टा निकलते समय
  3. दाना बनने के समय

इन चरणों पर पानी देने से उत्पादन में अच्छी-खासी वृद्धि होती है।

कृषि रसायनों का सुरक्षित उपयोग

आजकल रसायनों का इस्तेमाल बढ़ गया है, लेकिन इससे किसान की सेहत को खतरा हो सकता है। इसलिए छिड़काव करते समय हमेशा दस्ताने, मास्क, चश्मा और पूरे कपड़े पहनना जरूरी है। साथ ही जैविक विकल्पों को प्राथमिकता दें।


निष्कर्ष

बाजरे की खेती सच में एक वरदान है – खासकर उन किसानों के लिए जो सीमित संसाधनों में खेती करते हैं। अगर वैज्ञानिक सलाहों को ध्यान में रखते हुए बुवाई से लेकर कटाई तक हर काम समय पर किया जाए, तो किसान कम लागत में भी अधिक उत्पादन और मुनाफा कमा सकते हैं। यही नहीं, बदलते मौसम और जलवायु संकट के बीच बाजरा एक सुरक्षित विकल्प भी है।

📣 किसान भाइयों!
क्या आप रोज़ाना के ताज़ा मंडी भाव अपने मोबाइल पर पाना चाहते हैं?
तो फिर देर किस बात की! अभी हमारे WhatsApp ग्रुप से जुड़ें और लाभ उठाएं 📲

Leave a Comment