बरसात में पशुओं के लिए खतरा बनती हैं ये 5 बीमारियां – छीन सकती हैं दूध और जान!

Pashu Bimar – गाय-भैंस भी परिवार के सदस्य होते हैं, और जब वो बीमार होते हैं तो पूरा घर उदास हो जाता है।
बरसात का मौसम एक तरफ खेत में हरियाली लाता है, तो दूसरी तरफ पशुओं की सेहत पर आफत बनकर आता है। इस मौसम में नमी, कीचड़, मच्छर और गंदगी की वजह से कई तरह की बीमारियां पशुओं को घेर लेती हैं। दूध देने वाले पशु अगर बीमार हो जाएं तो ना केवल दूध की मात्रा घटती है, बल्कि कई बार जान का भी खतरा बन जाता है।

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इस लेख में हम आपको बताएंगे – बरसात में पशुओं को होने वाली 5 सबसे खतरनाक बीमारियां, उनके लक्षण, इलाज और देसी बचाव के तरीके, ताकि आपका जानवर तंदरुस्त रहे और आपका मन खुश।

1. लंगड़ी बुखार (FMD) – ना चारा खाए, ना खड़ा हो पाए!

गाय या भैंस अगर अचानक चलने में लंगड़ाने लगे, मुंह से झाग निकले और पैरों में छाले पड़ जाएं – तो समझो भाई लंगड़ी बुखार (FMD) ने पकड़ लिया है।
ये बीमारी वायरस से होती है और बरसात में बहुत तेजी से फैलती है। पशु को खाने-पीने से मन हट जाता है और दूध तो जैसे गायब ही हो जाता है।

🔸 बचाव:

  • बरसात से पहले FMD का टीका जरूर लगवाओ।
  • बीमार जानवर को दूसरे से अलग रखो और बाड़े को रोज़ साफ़ करो।

2. गलघोंटू (HS) – नाम से ही डर लग जाए!

गलघोंटू यानी HS भैंसों के लिए जानलेवा साबित होती है। गले में सूजन आती है, सांस लेने में दिक्कत होती है और कई बार तो पशु सीधा लेट जाता है और उठ नहीं पाता।
कई किसान सोचते रह जाते हैं कि क्या हुआ, और उनकी भैंस चल बसती है।

🔸 बचाव:

  • जून-जुलाई में हर साल टीका लगवाना ज़रूरी है।
  • बरसात में कीचड़ से बचाव और सूखी जगह पर बांधना बहुत जरूरी है।

3. थनैला – दूध देने वाली गाय की सबसे बड़ी दुश्मन

बरसात में अगर बाड़ा गंदा है, पानी जमा है और थन ठीक से साफ़ नहीं हो रहा – तो थनैला होना तय है। थन में सूजन, दर्द और दूध से बदबू आना इसका साफ लक्षण है।
कई बार किसान समझ ही नहीं पाते कि दूध क्यों कम हो गया, जबकि बीमारी थन में छिपी होती है।

🔸 बचाव:

  • दूध निकालने से पहले और बाद में थनों को धोना जरूरी है।
  • दूध साफ बर्तन में निकाले और हर बार हाथ-पैर धोएं।

4. अफारा – पेट फूले तो पशु बोले भी नहीं!

अधिक हरा चारा, गीला भूसा या बिना भूखा-प्यासा छोड़ा गया पशु – तो अफारा पक्का!
पेट फूल जाता है, डकार रुक जाती है और जानवर बस बैठा-बैठा बेचैन रहता है। कुछ किसान तो समझ नहीं पाते और इलाज देर से होता है।

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🔸 देसी इलाज:

  • हींग को गुनगुने पानी में घोलकर पिलाओ।
  • चारा बदलो और भूसा ज़रूर मिलाओ।
  • गंभीर हो तो तुरंत डॉक्टर बुलाओ।

5. खुजली और फोड़े – जब चमड़ी ही चिल्लाने लगे!

बरसात में गीली ज़मीन, कीचड़ और मच्छर खुजली, फोड़े-फुंसी और बाल झड़ने जैसी बीमारियां लेकर आते हैं।
पशु बार-बार खुद को दीवार या खंभे से रगड़ता है, चारा कम खाता है और कमजोर होता जाता है।

🔸 बचाव:

  • नीम के पत्तों के पानी से स्नान कराओ।
  • हल्दी और सरसों तेल लगाओ।
  • ज़्यादा घाव हो तो डॉक्टर की दवा लगवाओ।

बरसात में पशु को बचाने के देसी और आसान उपाय:

✅ बाड़े को रोज़ सूखा और साफ़ रखें
✅ चारे में संतुलन बनाएं – न ज़्यादा गीला, न सड़ा-गला
✅ समय पर FMD और HS का टीका लगवाना मत भूलना
✅ बिछौना सूखा रखें – भूसा या टाट का इस्तेमाल करें
✅ मच्छर भगाने के लिए गोबर के उपले जलाकर धुआं करें


किसान भाई ध्यान दें:

“बरसात में चुप रहकर इंतज़ार मत करो कि बीमारियां कब आएंगी – पहले से तैयारी करो, तभी नुकसान रुकेगा।”

पशु स्वस्थ रहेंगे तो घर खुशहाल रहेगा।
दूध भी मिलेगा, मन भी लगेगा और बीमारी से डर भी नहीं रहेगा।

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