किसान सम्मान निधि रोकने का फैसला: जानिए पूरा मामला और किसानों पर प्रभाव!

Kisan Samman Nidhi मध्य प्रदेश के किसानों के लिए एक बड़ी खबर है। केंद्र सरकार ने पराली जलाने वाले किसानों को किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) और MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) से वंचित करने का सख्त फैसला लिया है। यह कदम पर्यावरण संरक्षण और कृषि नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।

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क्या है किसान सम्मान निधि योजना?

PM-KISAN योजना के तहत केंद्र सरकार हर साल ₹6,000 (तीन किस्तों में) किसानों के बैंक खातों में सीधे ट्रांसफर करती है। मध्य प्रदेश सरकार इसमें अतिरिक्त ₹6,000 देकर किसानों को कुल ₹12,000 प्रति वर्ष की सहायता प्रदान करती है। यह राशि बीज, खाद, सिंचाई और अन्य कृषि खर्चों में मदद करती है।


क्यों रोकी जा रही है किसान सम्मान निधि?

Kisan Samman Nidhi – सरकार ने पराली जलाने वाले किसानों की एक सूची तैयार की है, जिनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है और कुछ पर जुर्माना भी लगाया गया है। अब इन किसानों को PM-KISAN की अगली किस्त नहीं मिलेगी और उनकी फसलें MSP पर भी नहीं खरीदी जाएंगी

क्या होगा MSP पर रोक का असर?

  • दोषी किसानों को सरकारी मंडियों में MSP पर फसल बेचने का अधिकार नहीं होगा।
  • उन्हें निजी बाजार में कम दाम पर फसल बेचनी पड़ेगी, जिससे आर्थिक नुकसान होगा।

किन जिलों में सबसे ज्यादा पराली जलाने के मामले?

मध्य प्रदेश में कई जिलों में पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गई हैं:

  • नर्मदापुरम: 5,774 मामले
  • विदिशा, इंदौर, रायसेन, गुना, सिवनी: सैकड़ों मामले

अब तक इन मामलों में जुर्माना या एफआईआर जैसी कार्रवाई हुई है, लेकिन अब सरकार ने योजनाओं से वंचित करने का सख्त कदम उठाया है।


कब तक रहेगी यह रोक? क्या किसानों को दोबारा मिलेगी सहायता?

  • अगर कोई किसान भविष्य में पराली नहीं जलाता और नियमों का पालन करता है, तो उसे फिर से योजना में शामिल किया जा सकता है
  • लेकिन बार-बार नियम तोड़ने वालों को कोई छूट नहीं मिलेगी।

किसानों की मजबूरी: क्या है समाधान – किसान सम्मान निधि

कई छोटे किसानों के पास पराली प्रबंधन के लिए संसाधनों की कमी होती है। मशीनें किराए पर लेना महंगा पड़ता है और मजदूरी का अतिरिक्त खर्च भी होता है। इसलिए, सरकार को:

  1. सब्सिडी वाली मशीनों की उपलब्धता बढ़ानी होगी
  2. किसानों को जागरूक करना होगा कि पराली जलाने से मिट्टी की उर्वरता कम होती है।
  3. पराली के वैकल्पिक उपयोग (जैसे कंपोस्ट खाद) को बढ़ावा देना होगा

निष्कर्ष

  • किसानों को पराली जलाने से बचना चाहिए और सरकारी योजनाओं का लाभ लेना चाहिए।
  • सरकार को सजा के साथ-साथ समाधान भी देना चाहिए, ताकि किसानों के पास विकल्प हों।
  • दोनों को मिलकर काम करना होगा, तभी खेती और पर्यावरण दोनों का संरक्षण होगा।
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