मध्य प्रदेश में सोयाबीन फसल चौपट – किसान कर रहे मुआवजा और फसल बीमा की मांग
🌧️ भारी वर्षा और येलो मोजेक वायरस ने बिगाड़ा हाल
मध्य प्रदेश में इस साल खरीफ सीजन की सोयाबीन फसल पर दोहरी मार पड़ी है।
- एक तरफ लगातार अत्यधिक वर्षा ने खेतों में पानी भर दिया।
- दूसरी ओर येलो मोजेक वायरस ने फसल को बुरी तरह प्रभावित कर दिया।
प्रदेश के मंदसौर, खरगोन, नीमच, देवास समेत कई जिलों से रिपोर्ट आई हैं कि सोयाबीन की फसल बर्बाद हो चुकी है। कई जगह किसान खुद ही रोटावेटर चलाकर फसल नष्ट करने को मजबूर हो गए हैं।
📌 किसानों की बड़ी मांग: ₹22,000 प्रति हेक्टेयर से ज्यादा मुआवजा
फसल बर्बादी को देखते हुए किसानों ने सरकार से मांग की है कि उन्हें ₹22,000 प्रति हेक्टेयर से अधिक मुआवजा दिया जाए।
इसके अलावा, किसानों की यह भी मांग है कि फसल बीमा योजना की दूसरी किस्त तुरंत जारी की जाए क्योंकि 2023-24 की बीमा राशि अब तक किसानों तक नहीं पहुंची है।
🗒️ विधायक का पत्र और किसानों के ज्ञापन
29 अगस्त को मंदसौर जिले से विधायक का एक पत्र वायरल हुआ है जिसमें जिला कलेक्टर से सोयाबीन फसल का सर्वे कराने की मांग की गई है।
पत्र में लिखा गया है कि फसलें येलो मोजेक रोग से प्रभावित होकर सूख रही हैं और फल नहीं लग पा रहे।
इसी के साथ, राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ ने भी मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन तहसीलदार को सौंपा है।
जिला अध्यक्ष गुलाब सिंह राजपूत के नेतृत्व में किसानों ने बताया कि येलो मोजेक और अफलन की समस्या से इस साल उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
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🏛️ प्रशासन का रुख: सर्वे और बीमा भुगतान का आश्वासन
प्रशासन की ओर से किसानों को भरोसा दिया गया है कि प्रभावित क्षेत्रों में जल्द ही सर्वे कराया जाएगा और नियम अनुसार मुआवजा एवं फसल बीमा की राशि दी जाएगी।
डिप्टी कलेक्टर ने कहा है कि किसानों की परेशानी को गंभीरता से लिया गया है और उनकी मांग पर कार्रवाई होगी।
🚨 जिले जहां सबसे ज्यादा नुकसान
- मंदसौर
- खरगोन (झिरनिया गांव में किसानों ने फसल नष्ट की)
- नीमच
- देवास
- डहरिया (100 एकड़ से अधिक क्षेत्र में नुकसान)
इन जिलों में येलो मोजेक वायरस और अधिक बारिश ने फसलों की हालत सबसे ज्यादा बिगाड़ी है।
❓ अब किसानों की उम्मीदें
किसान चाहते हैं कि –
- राजस्व विभाग तुरंत सर्वे कराए।
- फसल बीमा क्लेम का भुगतान बिना देरी के किया जाए।
- नुकसान का सही आंकलन कर किसानों को उचित राहत राशि दी जाए।
📌 निष्कर्ष
सोयाबीन की बर्बादी ने मध्य प्रदेश के किसानों को गहरे संकट में डाल दिया है। कई जगहों पर आजीविका पर सीधा असर पड़ा है और कर्ज का बोझ भी बढ़ रहा है। ऐसे में किसानों की सबसे बड़ी उम्मीद सरकार से मिलने वाली मुआवजा राशि और फसल बीमा भुगतान पर टिकी हुई है। अब देखना यह होगा कि मुख्यमंत्री मोहन यादव और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान इस पर कब तक ठोस फैसला लेते हैं।
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