सोयाबीन की उन्नत किस्में: मध्य प्रदेश के किसानों के लिए संपूर्ण गाइड


सोयाबीन की ये 3 जबरदस्त किस्में (JS 23-03, NRC 150, JS 24-33) किसानों को बना रही मालामाल

भारत में सोयाबीन की खेती किसानों के लिए एक मजबूत आर्थिक आधार है, विशेष रूप से मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे राज्यों में। जैसे ही मानसून की शुरुआत होती है, किसान खेतों की तैयारी में जुट जाते हैं। सोयाबीन की बुवाई का आदर्श समय 15 जून से 15 जुलाई के बीच माना जाता है। बेहतर उत्पादन और लाभ के लिए सोयाबीन की उन्नत किस्में अपनाना बेहद जरूरी है। इन किस्मों के साथ यदि किसान वैज्ञानिक तरीकों का भी सही उपयोग करें, तो कम समय में अधिक उपज और अच्छी गुणवत्ता प्राप्त की जा सकती है।

इस लेख में, हम भारत में सोयाबीन की टॉप 3 उन्नत किस्मों (JS 23-03, JS 24-33, NRC 150) के साथ-साथ कुछ अन्य लोकप्रिय वेरायटीज (JS 9560, JS 2034, JS 2218 और डबल डॉलर हाइब्रिड) के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे, जो किसानों को अधिक उत्पादन, रोग प्रतिरोधक क्षमता और बेहतर बाजार मूल्य दिलाने में मदद करती हैं।

1. जेएस 23-03 (JS 23-03) – सोयाबीन की उन्नत किस्में में एक अर्ली मैच्योरिंग चैंपियन

किसान भाइयों के लिए JS 23-03 सोयाबीन की एक क्रांतिकारी और भरोसेमंद किस्म है, जो मात्र 88-90 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। यह किस्म जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय (JNKVV), जबलपुर द्वारा विकसित की गई है और इसे सोयाबीन की उन्नत किस्में में शामिल किया गया है। यह खास तौर पर मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के किसानों के लिए अनुशंसित है। जल्दी पकने और अच्छी उपज देने की क्षमता के कारण यह किस्म किसानों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही है।

प्रमुख विशेषताएं:

  • अद्भुत उत्पादन क्षमता: इस किस्म से किसान 25-30 क्विंटल/हेक्टेयर तक उपज प्राप्त कर सकते हैं। इंदौर में आधिकारिक परीक्षणों में इसने 31.89 क्विंटल/हेक्टेयर का रिकॉर्ड उत्पादन दिया है।
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता: यह किस्म यलो मोज़ेक वायरस, एंथ्रेक्नोज, चारकोल रॉट और जड़ सड़न जैसी प्रमुख बीमारियों के प्रति अत्यधिक सहनशील है।
  • उन्नत गुणवत्ता: दाने बड़े आकार के (100 दाने = 12-13 ग्राम), चमकदार पीले रंग के तथा तेल की मात्रा लगभग 20% होती है, जो बाजार में बेहतर मूल्य दिलाने में सहायक है।
  • मशीनीकरण के अनुकूल: पौधों की ऊंचाई लगभग 47 सेमी तथा अर्ध-फैलावदार संरचना होने के कारण यह मैकेनिकल हार्वेस्टर से कटाई के लिए आदर्श है।

क्यों है खास?

इस किस्म की सबसे बड़ी खूबी है इसकी अल्प अवधि जो किसानों को रबी फसलों (जैसे गेहूं, चना या सरसों) की समय पर बुवाई का अवसर देती है। साथ ही, फलियों के न फटने (नॉन-शेटरिंग) का गुण भी उत्पादन की हानि को रोकता है।

सुझाव: यदि आपके क्षेत्र में समय से पहले मानसून की वापसी हो जाती है या सिंचाई सुविधा सीमित है, तो JS 23-03 आपके लिए एक उत्कृष्ट विकल्प साबित हो सकती है। इसकी बुवाई के लिए 40 किग्रा बीज/एकड़ तथा 14 इंच की पंक्ति दूरी अपनाएं।

“JS 23-03 सोयाबीन किस्म किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है – कम समय में अधिक उपज और बेहतर गुणवत्ता का पूरा पैकेज!”

इस किस्म से संबंधित अधिक जानकारी के लिए नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करें।

2. एनआरसी 150 (NRC 150) – इंदौर की सुपर सोयाबीन और सोयाबीन की उन्नत किस्में

एनआरसी 150 (NRC 150), जिसे इंदौर की सुपर सोयाबीन भी कहा जाता है, एक उच्च उपज देने वाली सोयाबीन किस्म है। यह किस्म कम समय में पककर तैयार हो जाती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बेहतर होती है। किसानों के बीच इसकी लोकप्रियता इसकी बेहतरीन गुणवत्ता और अधिक उत्पादन के कारण तेजी से बढ़ रही है।

खास बातें:
1) बोल्ड पीले दाने (100 दाने = 11.5 ग्राम)
2) सफेद फूल, मजबूत पौधा (हार्वेस्टर फ्रेंडली)
3) जड़ सड़न व कीट रोधी क्षमता
4) फलियाँ नहीं फटतीं (कम नुकसान)

“NRC 150 = भरपूर उपज + बेहतर गुणवत्ता”

इस किस्म के बीज सिर्फ प्रमाणित केंद्रों से ही खरीदें।

3. जेएस 24-33 (JS 24-33) – सोयाबीन की उन्नत किस्मों में चैंपियन

JS 24-33 एक उच्च उत्पादकता वाली सोयाबीन की उन्नत किस्में है, जिसे “हाई-यील्डिंग पावरहाउस” के नाम से जाना जाता है। यह किस्म मध्यम अवधि में (करीब 95-100 दिन) पकती है और इसके दानों की गुणवत्ता बेहतरीन होती है। जलवायु में बदलाव के बावजूद इसकी उपज स्थिर बनी रहती है, जो किसानों के लिए बड़ी राहत है। यह किस्म विशेष रूप से मध्य भारत के किसानों के लिए लाभकारी साबित हुई है, जहां इसकी उपज और रोग प्रतिरोधक क्षमता ने इसे काफी लोकप्रिय बना दिया है।

किसानों के लिए फायदे:
1) 25-30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज देने की क्षमता।
2) फसल कम समय में तैयार, जिससे अगली फसल की तैयारी आसान।
3) बीमारियों जैसे जड़ सड़न और विल्ट से लड़ने की ताकत।
4) तेल की मात्रा अच्छी (लगभग 18-20%) और दाने भारी।
5) मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और आसपास के क्षेत्रों के लिए उपयुक्त।

अन्य लोकप्रिय किस्में

किस्मपकने की अवधिमुख्य विशेषता
JS 956095-100 दिनपारंपरिक लेकिन भरोसेमंद किस्म
JS 2034100-105 दिनसूखा सहनशील, कम पानी में भी अच्छी उपज
JS 2218100-105 दिनहाईब्रिड, 35+ क्विंटल/हेक्टेयर, रोग-रोधी
डबल डॉलर95-100 दिन21% तक तेल, प्रीमियम प्राइस वाली किस्म

निष्कर्ष: कौन सी किस्म चुनें?

  • जल्दी कटाई चाहिए? → JS 23-03 या JS 24-33
  • अधिक उत्पादन चाहिए? → NRC 150 या JS 2218
  • सूखा प्रभावित क्षेत्र? → JS 2034
  • एक्सपोर्ट क्वालिटी दाना? → डबल डॉलर हाइब्रिड

सुझाव: अपने क्षेत्र की मिट्टी, जलवायु और बाजार की मांग के अनुसार किस्म चुनें। JNKVV (जबलपुर) या NRC (इंदौर) से प्रमाणित बीज ही खरीदें।

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