महाराष्ट्र में प्याज किसानों का आंदोलन: सरकार एक्शन मोड में

प्याज के दामों में गिरावट से किसानों में नाराज़गी

पिछले कुछ दिनों से मंडियों में प्याज के दाम लगातार गिर रहे थे। किसानों को उनकी मेहनत का सही दाम नहीं मिल रहा था, जिससे गुस्सा और नाराज़गी बढ़ी। कई जगहों पर किसानों ने आंदोलन भी शुरू कर दिए।

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“फोन करो आंदोलन” से बढ़ा दबाव

12 सितंबर से प्याज उत्पादक किसान संगठन के अध्यक्ष भारत दिगोले की अगुवाई में किसानों ने अनोखा आंदोलन शुरू किया। यह आंदोलन सड़क पर उतरने वाला नहीं था, बल्कि “फोन करो आंदोलन” था।
इसमें किसान रोज अपने-अपने विधायक, सांसद और मंत्रियों को फोन करके यही सवाल पूछते थे—
👉 “हमारे प्याज के दाम कब बढ़ेंगे?”

यह आंदोलन 12 से 17 सितंबर तक चला और नेताओं को दिनभर सैकड़ों फोन आने लगे। इससे सरकार पर बड़ा दबाव बना।

सरकार की आपात बैठक और बड़े फैसले

किसानों के दबाव के बाद सरकार ने मंत्रालय में आपात बैठक बुलाई। इसमें कृषि मंत्री, मार्केटिंग मंत्री, अधिकारी और मंडियों के प्रतिनिधि मौजूद थे। बैठक में दो अहम फैसले हुए—

1. प्याज निर्यात पर सब्सिडी बढ़ी

  • पहले प्याज निर्यातकों को 1.90% सब्सिडी मिलती थी।
  • अब इसे बढ़ाकर 4% कर दिया गया है।
  • इससे विदेशी बाजारों में भारतीय प्याज और सस्ती होगी और निर्यात बढ़ सकता है।
  • अनुमान है कि महाराष्ट्र में प्याज के दाम ₹1 से ₹1.5 प्रति किलो तक बढ़ सकते हैं।

2. बिचौलियों पर कार्रवाई

  • अक्सर व्यापारी मिलकर दाम गिरा देते हैं।
  • अब हर जिले में सतर्कता समिति (विजिलेंस कमेटी) बनाई जाएगी।
  • यह कमेटी ऐसे व्यापारियों की पहचान करेगी और उनका मंडी लाइसेंस भी रद्द कर सकती है।

भारी बारिश से फसलें बर्बाद

प्याज दामों के बीच मौसम ने भी किसानों की मुसीबत बढ़ाई। भारी बारिश और लौटते मानसून ने करीब 15 लाख हेक्टेयर खेती को नुकसान पहुंचाया है।
प्याज के साथ कपास, सोयाबीन, ज्वार और मक्का जैसी फसलें भी प्रभावित हुई हैं। नई प्याज की फसल पर भी असर पड़ा है, जिससे आने वाले समय में उत्पादन घट सकता है।

मंडियों में दाम क्यों गिरे?

हालांकि फसलें बर्बाद हुई हैं, फिर भी मंडियों में प्याज के दाम नीचे जा रहे हैं। इसका सीधा मतलब है कि कहीं न कहीं कोई तो दामों को कृत्रिम रूप से दबा रहा है।

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हाल ही में उज्जैन में 5000 किसानों ने ट्रैक्टर रैली निकालकर यही सवाल उठाया—
👉 “हमारी प्याज के दाम कौन गिरा रहा है?”

किसानों की एकजुटता ही असली ताकत

महाराष्ट्र के किसानों ने यह दिखा दिया कि जब किसान संगठित होकर सवाल पूछते हैं, तो पूरी व्यवस्था हिल जाती है।
अब जरूरत है कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात के किसान भी एकजुट हों और सरकार व मंडियों से सवाल पूछें।

👉 “मेरी प्याज खरीदकर आप कहीं भंडारण तो नहीं करेंगे और बाद में ऊँचे दामों पर बेचेंगे?”

नतीजा: सरकार मजबूर हुई

किसानों के दबाव और आंदोलन से सरकार ने कदम उठाए हैं। लेकिन असली ताकत किसानों की एकता और सवाल पूछने की आदत में है। जितने ज्यादा किसान आवाज उठाएंगे, उतना ही सिस्टम को मजबूर होकर किसानों के हित में फैसले लेने पड़ेंगे।


✍️ निष्कर्ष
प्याज किसानों का यह आंदोलन पूरे देश के किसानों के लिए एक संदेश है—
“एकजुटता ही सबसे बड़ी ताकत है।”


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