केंद्र सरकार सीड और पेस्टिसाइड एक्ट में बड़ा बदलाव करने जा रही है। नकली बीज, घटिया कीटनाशक और सैंपल घोटालों पर अब सख्त कार्रवाई होगी। जानिए पूरी खबर।
सीड और पेस्टिसाइड एक्ट में बड़ा बदलाव: किसानों के लिए राहत की खबर
किसानों के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है। केंद्र सरकार जल्द ही ‘सीड और पेस्टिसाइड एक्ट’ (Seed & Pesticide Act) में बड़ा और सख्त बदलाव करने जा रही है। यह संशोधन शीतकालीन सत्र 2025 तक संसद में लाया जा सकता है।
इस बदलाव का मकसद है:
- नकली और घटिया बीजों की बिक्री पर रोक
- मिलावटी कीटनाशकों के व्यापार पर सख्ती
- किसान को सही और प्रमाणित उत्पाद उपलब्ध कराना
क्यों हो रहा है यह बदलाव?
‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के दौरान किसानों ने शिकायतें की थीं कि:
- बाजार में दोयम दर्जे के बीज मिलते हैं
- नकली कीटनाशकों से फसलों को नुकसान हो रहा है
- सैंपल लेने के बाद रिपोर्ट बदल दी जाती है
इन शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए कृषि मंत्रालय ने यह कदम उठाया है।
क्या-क्या होंगे नए बदलाव?
1. बीज की ट्रेसेबिलिटी (Seed Traceability):
अब बीज पैकेट पर बारकोडिंग अनिवार्य होगी जिससे किसान जान सकेगा कि बीज कहाँ से आया।
2. टेस्टिंग लैब की संख्या और गुणवत्ता में सुधार:
- राज्य सरकार की सभी लैब को NABL मान्यता लेनी होगी
- सरकार ₹1 लाख की NABL फीस और जरूरी उपकरणों में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) के तहत मदद देगी
3. सैंपलिंग में पारदर्शिता:
मिलेगी सभी नई कृषि योजनाओं, सब्सिडी और लोन की पूरी जानकारी 💰🌾
- कोई भी कंपनी सैंपल बदल नहीं पाएगी
- राज्य की लैब रिपोर्ट पर विवाद होने पर जांच केंद्रीय रेफरल लैब में होगी
4. कंपनियों पर नियंत्रण:
अब कोई भी कंपनी सैंपल को जांच से पहले बदल नहीं सकेगी, इसकी व्यवस्था बनाई जा रही है।
किसानों को कैसे मिलेगा फायदा?
✅ घटिया और नकली बीजों से छुटकारा
✅ कीटनाशकों में मिलावट की जांच
✅ फसलों की पैदावार में वृद्धि
✅ कंपनियों की जवाबदेही तय होगी
✅ भरोसेमंद खेती के लिए मजबूत व्यवस्था
क्या बोले कृषि सचिव?
केंद्रीय कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी ने कहा:
“अब यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसान को सही बीज और कीटनाशक मिले। बारकोडिंग से पूरा ट्रैक रिकॉर्ड पता चलेगा। लैब सैंपलिंग प्रक्रिया भी पारदर्शी और सख्त होगी।”
निष्कर्ष:
सीड और पेस्टिसाइड एक्ट में बदलाव 2025 किसानों के हित में एक ऐतिहासिक कदम साबित हो सकता है। इससे जहां नकली उत्पादों पर लगाम लगेगी, वहीं किसान की फसल और मेहनत दोनों सुरक्षित रहेंगी।
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