Damping Off – सोयाबीन की नई बीमारी: कारण, लक्षण, रोकथाम और नियंत्रण!

सोयाबीन (Glycine max) भारत की एक प्रमुख तिलहन फसल है, जिसकी खेती मुख्य रूप से मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और कर्नाटक में की जाती है। हालांकि, इसकी खेती में कई बीमारियाँ फसल को नुकसान पहुँचाती हैं, जिनमें से डैम्पिंग ऑफ (Damping Off) एक गंभीर समस्या है। यह बीमारी मुख्यतः नर्सरी या बीज अंकुरण के शुरुआती चरण में होती है और पौधों को पूरी तरह से नष्ट कर सकती है। इस ब्लॉग में हम डैम्पिंग ऑफ बीमारी के कारण, लक्षण, रोकथाम और नियंत्रण के उपायों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

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डैम्पिंग ऑफ क्या है?

Damping Off – डैम्पिंग ऑफ एक फफूंदजनित बीमारी है, जो मुख्यतः Pythium, Rhizoctonia, Fusarium और Phytophthora जैसे कवकों के कारण होती है। यह बीमारी बीजों के अंकुरण से पहले या बाद में हमला करती है, जिससे पौधे मुरझा कर गिर जाते हैं और अंततः नष्ट हो जाते हैं। यह समस्या अधिक नमी वाले क्षेत्रों में अधिक देखी जाती है।


Damping Off – डैम्पिंग ऑफ के प्रकार

डैम्पिंग ऑफ दो प्रकार का होता है:

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  1. प्री-इमरजेंस डैम्पिंग ऑफ – बीज अंकुरित होने से पहले ही सड़ जाता है।
  2. पोस्ट-इमरजेंस डैम्पिंग ऑफ – अंकुरित पौधे मिट्टी की सतह के पास से सड़कर गिर जाते हैं।

डैम्पिंग ऑफ के लक्षण (Damping Off)

  1. बीज का सड़ना: अंकुरण से पहले ही बीज मिट्टी में सड़ जाता है।
  2. तने का गलना: अंकुरित पौधों का तना मिट्टी के पास से पानी से भीगा हुआ और काला पड़ जाता है।
  3. पौधों का गिरना: संक्रमित पौधे जमीन पर गिर जाते हैं और मर जाते हैं।
  4. पत्तियों का पीला पड़ना: पौधों की पत्तियाँ पीली होकर मुरझा जाती हैं।
  5. जड़ों का कमजोर होना: जड़ें सड़कर पौधे को पोषण देना बंद कर देती हैं।

Damping Off के कारण

  1. अधिक नमी: खेत में पानी का जमाव या अत्यधिक सिंचाई।
  2. खराब जल निकासी: मिट्टी में जलभराव की समस्या।
  3. संक्रमित बीज: फफूंदयुक्त बीजों का उपयोग।
  4. गहरी बुवाई: बीजों का अधिक गहराई में बोया जाना।
  5. तापमान और आर्द्रता: ठंडा और नम मौसम (20-25°C) फफूंद के विकास के लिए अनुकूल होता है।

डैम्पिंग ऑफ की रोकथाम के उपाय

1. बीज उपचार (Seed Treatment)

  • फफूंदनाशक दवाओं से उपचार:
    • कार्बेन्डाजिम 50% WP (2 ग्राम/किलो बीज)
    • थीरम 75% WP (2.5 ग्राम/किलो बीज)
    • ट्राइकोडर्मा विरिडी (5 ग्राम/किलो बीज) – जैविक उपचार

2. मिट्टी का उपचार (Soil Treatment)

  • गोबर की खाद में ट्राइकोडर्मा मिलाकर प्रयोग करें।
  • मिट्टी को फफूंदनाशक से उपचारित करें:
    • मेटालैक्सिल 35% ES (2 मिली/लीटर पानी)
    • कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50% WP (3 ग्राम/लीटर पानी)

3. उचित जल प्रबंधन

  • खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें।
  • अत्यधिक सिंचाई से बचें।

4. फसल चक्र (Crop Rotation)

  • सोयाबीन के बाद गेहूं, मक्का या दलहनी फसलें उगाएँ।

5. स्वस्थ बीजों का चयन

  • प्रमाणित और रोगमुक्त बीजों का ही उपयोग करें।

डैम्पिंग ऑफ का नियंत्रण (Chemical & Organic Methods)

1. रासायनिक नियंत्रण

  • मेटालैक्सिल + मैंकोजेब 72% WP (2 ग्राम/लीटर पानी) – छिड़काव
  • फॉसिथाइल एल्युमिनियम 80% WP (2.5 ग्राम/लीटर पानी)

2. जैविक नियंत्रण

  • नीम का तेल (5 मिली/लीटर पानी) – छिड़काव
  • गौमूत्र + ट्राइकोडर्मा का छिड़काव

निष्कर्ष

डैम्पिंग ऑफ सोयाबीन की एक गंभीर बीमारी है, जो अंकुरण अवस्था में फसल को नष्ट कर सकती है। इससे बचाव के लिए बीज एवं मिट्टी का उपचार, उचित जल निकासी और संतुलित सिंचाई आवश्यक है। रासायनिक और जैविक दोनों तरीकों से इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है। किसानों को स्वस्थ बीजों का चयन करके और समय पर निवारक उपाय अपनाकर इस समस्या से बचा जा सकता है।

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