मध्य प्रदेश में सोयाबीन खरीदी 2025: समर्थन मूल्य पर अब तक निर्णय लंबित

मध्य प्रदेश में सोयाबीन खरीदी 2025 को लेकर असमंजस बना हुआ है। MSP ₹5328 तय है, लेकिन सरकार ने अब तक केंद्र को प्रस्ताव नहीं भेजा। जानें मंडी भाव, किसानों की मांग और ताज़ा अपडेट।

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मध्य प्रदेश में इस वर्ष सोयाबीन की फसल कटकर तैयार है, लेकिन किसानों के बीच असमंजस की स्थिति बनी हुई है। प्रदेश में लगातार बारिश और पीला मोज़ेक जैसी बीमारियों के कारण इस बार उत्पादन में भारी गिरावट देखने को मिल रही है। कई जिलों में तो कटाई के बाद भी औसत उत्पादन काफी कम निकला है।

समर्थन मूल्य पर खरीदी का संकट

पिछले वर्ष 25 सितंबर से पीएमपी ई-उपार्जन पोर्टल पर पंजीयन शुरू हो गया था और 25 अक्टूबर से खरीदी भी प्रारंभ हो गई थी। लेकिन इस साल 23 सितंबर तक भी मध्य प्रदेश सरकार ने केंद्र को खरीदी का प्रस्ताव नहीं भेजा है। यही कारण है कि अब तक यह स्पष्ट नहीं है कि किसानों की उपज समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदी जाएगी या नहीं।

👉 इस बार सोयाबीन का समर्थन मूल्य ₹5328 प्रति क्विंटल तय है, जबकि मंडियों में वर्तमान भाव ₹2500 से ₹4500 प्रति क्विंटल के बीच ही चल रहा है। यदि सरकार समर्थन मूल्य पर खरीदी शुरू नहीं करती, तो किसानों को प्राकृतिक आपदा के बाद बाज़ार के कम दामों का भी सामना करना पड़ेगा।

किसानों और संगठनों का विरोध

भारतीय किसान संघ और अन्य संगठन लगातार सरकार से समर्थन मूल्य पर खरीदी शुरू करने की मांग कर रहे हैं। संघ के प्रदेश अध्यक्ष ने साफ कहा है कि जब तक पंजीयन और खरीदी की घोषणा नहीं होगी, आंदोलन जारी रहेगा।

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वहीं, कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भी खराब हुई फसल को लेकर किसानों को मुआवजा देने की मांग उठाई है।

पिछले साल की खरीदी का रिकॉर्ड

साल 2023 में:

  • 25 सितंबर से पंजीयन प्रारंभ हुआ था।
  • 25 अक्टूबर से खरीदी शुरू हुई।
  • लगभग 2.12 लाख किसानों से 6.22 लाख मीट्रिक टन सोयाबीन खरीदा गया।

इस साल अनुमानित उत्पादन केवल 45 से 50 लाख मीट्रिक टन के बीच बताया जा रहा है।

किसानों की मांगें

  • समर्थन मूल्य पर खरीदी की तुरंत घोषणा हो।
  • ई-उपार्जन पोर्टल पर पंजीयन प्रारंभ किया जाए।
  • मंडियों में MSP से कम भाव मिलने पर रोक लगे।
  • खराब हुई फसल का मुआवजा दिया जाए।

निष्कर्ष

फिलहाल स्थिति साफ नहीं है कि प्रदेश सरकार इस वर्ष सोयाबीन की खरीदी समर्थन मूल्य पर करेगी या नहीं। किसान सरकार के आदेश का इंतज़ार कर रहे हैं। यदि जल्दी निर्णय नहीं लिया गया, तो यह किसानों के लिए आर्थिक रूप से बड़ा झटका साबित हो सकता है।


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